आगाज़ ए ज़िन्दगी.
आगाज़ ए ज़िंदगी...
दूसरा भाग...
कुछ लोग कहते हैं मोहब्बत सूरत से होती है लेकिन मै नहीं मानती । मोहब्बत तो सीरत से होती हैं। कभी-कभी उसकी पसंद से उसकी खुशियों से उसकी आरज़ू से उस के नेक दिल से मोहब्बत हो जाती हैं।
अगर मुझसे कभी किसी का प्यार हुआ है तो मेरी मासूमियत से सादगी से मेरी खुवाहिशों और मेरी नदानियों से।
मुश्किल से मिलते हैं। खुवाहिशों से मुहब्बत करने वाले..
मेरा खुवाब हैं गरीब लोगो की मदद करना अनाथ बच्चों को सहारा देना। उन की तालीम ओ तरबित करना..
मेरे इस ख़ुवाब को अपने हाथो मे लेकर नुवेद ने मुझे जो इज़्ज़त दी है वो प्यार सेआला मुकाम रखती हैं.
उन्होंने मेरे हर खुशवाब पर साया किया है मैंने अपने रब से जैसा कि हमसफ़र माँगा था। वह मेरे जैसा ही अता क्या हैं।
वो मेरा हम ख्याल हैं। मेरे जैसे हैं। उस का दिल भी रोता हूं लोगो की तकलीफ पर और मेरा भी।
वो अपने से पहले दूसरे के बारे में सोचते हैं और मैं भी।
मुझे लगता है शायद ही किसी ने किसी को इतना प्यार क्या होगा उतना वो मुझसे करता है..
अल्लाह हम दोनों को आखिरी सांस तक अपने हिफ़्ज़ ओ अमान मे रखे.. आमीन
कभी-कभी नुवैद मुझसे कहते हैं.मौत बर हक हैं. fizo
अगर हम दोनों मे से अगर किसी को मौत आयी तो पहले ये दुनिया मै छोड़ूं
मैं तुम्हारे वगैर जी नहीं पाउंगा..
मैं कहती हु आप कितने खुदगर्ज है अपने बारे में सोच रहे हैं।
वो कहते हैं। एक बार खुदगर्जी लाजमी करनी चाहिए...
Sachin dev
16-May-2023 07:14 AM
Well done ✅
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